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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2648
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।

अथवा
भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले असैन्य तत्वों का वर्णन कीजिए। भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन-कौन से हैं?
अथवा
भारत की आन्तरिक सुरक्षा के लिए कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? विस्तृत विवरण दीजिए।

उत्तर -

किसी भी राष्ट्र की आन्तरिक सुरक्षा का आकार बहुत बड़ा होता है। आमतौर पर उसके बहुआयामों की समझ और पकड़ लोगों को नहीं होती। आन्तरिक सुरक्षा कानून एवं व्यवस्था को बनाये रखने पर ही निर्भर नहीं करती, वह प्रशासन के विभिन्न अंगों के माध्यम से विश्वसनीय सूचनायें एकत्र करने, आतंकवाद तथा भितर घात को रोकने और एक स्वस्थ समाज व्यवस्था पर निर्भर करती है। यह सत्य ही कि, " किसी भी देशकाल में यदि राजनीति में किसी भी तरह सत्ता हथियाने की बुराई घर कर जाती है, यदि दलगत स्वार्थों के लिए या व्यक्तिगत लाभ के लिए कट्टरवादिता तथा क्षेत्रीयता को उकसाया जाता है, यदि प्रशासन तथा व्यवसाय के क्षेत्र में भ्रष्टाचार का घुन लग जाता है, यदि जनता को जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद धर्म के आधार पर विभाजित किया जाता है यदि धनाड्य वर्ग के ऐशो-आराम एवं गरीब लोगों की गुरबत जैसी स्थितियाँ होती हैं तब आन्तरिक सुरक्षा को बनाये रखना प्रायः असम्भव हो जाता है। पूर्व के आन्तरिक खतरों ने ही पंजाब, जम्मू कश्मीर एवं पूर्वोत्तर की विभिन्न समस्याओं को जन्म देकर भारतीय सुरक्षा को जटिल बनाया। इस प्रकार प्रत्येक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि सम्भावित खतरों का सही-सही मूल्यांकन करे।

किसी भी देश में आन्तरिक अशान्ति एवं आपसी कलह शत्रु देश को आक्रमण का न्यौता देता है। आतंकवाद, सैन्य घुसपैठ, जातीय संघर्ष आदि सैन्य खतरों के अलावा भी कुछ खतरे ऐसे होते हैं जो असैन्य होते हुए भी भारत की सुरक्षा को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में प्रभावित करते हैं।

1. जातिवाद (Castism ) - भारत की आन्तरिक सुरक्षा को जिस प्रकार की चुनौतियाँ मिल रही हैं, उनमें जातीयता की चुनौती अग्रणी है। भारत में होने वाले विभिन्न चुनावों में जातीय समीकरण के अनुसार चुनाव लड़े जाते हैं और प्रादेशिक सरकारें जातीयता के समीकरण के हिसाब से बनती हैं। राजनीतिक दलों की यह प्रवृत्ति समाज में टकराव व आपसी वैमनस्यता को ही बढ़ावा देती हैं। तब इस प्रकार की स्थिति देश की एकता और अखण्डता के लिये घातक सिद्ध होती है। अतः सभी राजनीतिक दलों का आचरण संतुलित होना चाहिए। आरक्षण व्यवस्था से जाति शब्द को निकाल समाज के आर्थिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े सभी वर्गों को ये सुविधा प्रदान करनी चाहिए।

2. आन्तरिक राजनीतिक दशा - किसी राष्ट्र की आन्तरिक राजनीतिक दशा उसकी एकता और सुरक्षा का प्रतिबिम्ब प्रस्तुत करती है। अलगाववाद भारतीय राजनीति में नया नहीं है। उसके पीछे धर्म, समाज, आर्थिक विषमता एवं राजनीतिक विचारधाराओं की संकीर्णता का प्रादुर्भाव रहा है। राजनीतिक दावपेंच ही तो रहा जिसने देश में आतंकवाद को संरक्षण प्रदान किया और उसे फलने-फूलने में सहायता की। वर्तमान परिदृश्य में आज देश की राजनीति उस मोड़ पर आ खड़ी है, जहाँ सिद्धान्त, राष्ट्रीयता एवं जनहित को दृष्टि से ओझल कर दिया गया है। स्वार्थता, भ्रष्टाचार से भरी राजनीति में राष्ट्रीय हित एवं लोकतन्त्र का ह्रास हुआ है। आज राजनीतिक दलों को मिलकर ऐसे कार्य योजना बनानी चाहिए जिससे राष्ट्र की आन्तरिक सुरक्षा प्रभावित न हो।

3. बेरोजगारी - हमारे देश में व्याप्त भयंकर बेरोजगारी की समस्या केवल छात्रों और रोजगार चाहने वालों के लिये ही नहीं बल्कि यह सरकार और समाज के लिये भी चिन्ता का विषय है। उक्त समस्या से व्यक्ति में कुंठा पनपती है और कुंठित व्यक्ति राष्ट्र एवं समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो जाता है। शिक्षित बेरोजगार युवक अपराधों में अधिकाधिक संलिप्त होते जाते हैं। कश्मीर व पूर्वोत्तर का ज्यादातर शिक्षित युवा वर्ग आतंकवादी संगठनों में लिप्त हो चुके हैं और विदेशी ताकतों की सहायता से अपने तेज दिमाग का उपयोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में कर रहे हैं। सरकार की प्रतिबद्धता बेरोजगारी को समाप्त करने के लिये तो दिखती है, परन्तु उसे व्यावहारिक रूप नहीं दे पाती है। हालांकि बेरोजगारों की सहायता के लिये अनेकों रोजगार योजना कार्यान्वित हैं फिर भी सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा नहीं किये जा सके हैं। जब तक बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं होता, देश की युवा पीढ़ी रोजगारपरक नहीं होती तब तक देश की सुरक्षा के प्रति युवा वर्ग को सचेत नहीं किया जा सकता है और न ही युवा वर्ग देश की सुरक्षा एवं अखण्डता के प्रति संवेदनशील हो सकता है।

4. भाषावाद - भाषावाद भी आंतरिक सुरक्षा के लिये गम्भीर चुनौती के रूप में है। भाषा और समाज एक-दूसरे के अनिवार्य अंग हैं। समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली इसी भाषा को लेकर आज हमारे देश में जो तनाव की स्थिति बनती जा रही है उसे भूल पाना सम्भव नहीं है। समय-समय पर भाषा प्रेमियों ने विद्रोह एवं संघर्ष का रूप धारण करके विभिन्न राज्यों के मध्य ईर्ष्या तथा घृणा की भावना को जन्म दिया है। आज क्षेत्रीय भाषाओं को रक्षित रखते हुए समूचे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधने के लिये हिन्दी भाषा का प्रयोग नितान्त आवश्यक प्रतीत होता है क्योंकि इससे समस्त राष्ट्र एक सूत्र में बँधा रहेगा और आपसी मतभेद खत्म हो सकेंगे।

5. धार्मिक कट्टरता - यह सर्वविदित है कि मानव-कल्याण शान्ति और सद्भाव में ही निहित होता है। यदि इन भावनाओं का नाश और अनादर कर हम विपरीत दिशा में बढ़ेंगे तो मानव-कल्याण की बजाय विनाश ही होगा। किसी भी धर्म या पंथ से सम्बन्धित ज्ञानी, सन्त, ऋषि, सूफी, धर्मगुरू आदि हों, उन्होंने ईश्वरीय सन्देश के साथ-साथ मानव कल्याण की भावनाओं को केन्द्र में रखते हुए अहिंसा और शान्ति का पाठ भी पढ़ाया है। विभिन्न धर्मों में हिंसा को अच्छा नहीं माना गया है। आज सम्पूर्ण विश्व बढ़ती हुई धार्मिक कट्टरता की प्रवृत्ति एवं भावनाओं को रोकने के लिये चिन्तित है। जिन धर्मों और पन्थों को हमारा मार्गदर्शन करना चाहिए दुर्भाग्य से वही धर्म और धर्म के ठेकेदार इस काम में सबसे ज्यादा मुश्किलें उत्पन्न कर रहे हैं। यह बड़ा भारी प्रश्न है कि कतिपय फिरकापरस्त ताकतों के द्वारा जान-बूझकर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि लोगों में आपसी प्रेम की बजाय घृणा का संचार हो जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा की आन्तरिक दशा खतरे में पड़ जाये। इस स्थिति के लिये चुनावी राजनीति भी दोषी है। राजनीतिक दल धार्मिक दृष्टिकोण को चुनावी राजनीति का एक साधन मात्र मानते हैं जिससे कट्टरता का संचार होता है और उत्तर का प्रति उत्तर होने लगता है।

हम सभी को यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत एक विभिन्न विधाओं का धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जहाँ धार्मिक अस्मिता से ज्यादा ऐसी साझी अस्मिता की आवश्यकता है जिसमें मानव मूल्य राष्ट्र सेवा सर्वोपरि है।

6. साइबर आतंकवाद - आधुनिक युग में युद्ध केवल परम्परागत हथियारों से ही नहीं. लड़े जा रहे हैं बल्कि इस कार्य में गैर-परम्परागत हथियारों एवं उपकरणों को भी विशिष्ट स्थान प्राप्त है। आधुनिक विकास की इस प्रक्रिया का प्रभाव आसूचना पर इस प्रकार पड़ा कि सैन्य क्षेत्र से सम्बन्धित अधिकतर जानकारियाँ, हथियारों का संचालन एवं अन्य गोपनीय तथ्य कम्प्यूटर स्थापित कर अति सुरक्षित एवं संरक्षित माने जाने लगे हैं, लेकिन इसको कम्प्यूटर हैकरों द्वारा भंग किये जाने के परिणामस्वरूप सैन्य क्षेत्र में हुए इस आधुनिक परिवर्तन ने राष्ट्रीय सुरक्षा संकट के नये आयाम को जन्म दिया है। साइबर आतंकवाद को ई-टेररिज्म के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है जिसका उपयोग आतंकवादी गतिविधियों में एवं राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंधमारी जिसमें कम्प्यूटर वायरस जैसे साधनों के माध्यम से सेंधमारी कर कम्प्यूटर नेटवर्क में बड़े पैमाने पर स्थापित दस्तावेज चुराने या उन्हें उड़ाने, परिवर्तित करने जैसे अति गम्भीर कार्य साइबर हैकर्स द्वारा एक क्लिक पर होता है। आतंकवाद के परम्परागत रूपों से अलग साइबर आतंकवाद की यह प्रकृति बेहद घातक और विध्वंसात्मक है।

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में साइबर आतंकवाद द्वारा समय-समय पर हमले होते रहे हैं। भारत की साइबर सुरक्षा में सेंधमारी, सुरक्षा एजेन्सियों के गोपनीय दस्तावेज चुराना, सामरिक गतिविधियों को हैक करना जैसे साइबर आतंकवादी गतिविधियों में चीन की बढ़ती ताकत ने भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों को भारत की सुरक्षा के नये आयाम तलाशने हेतु उत्प्रेरित किया है क्योंकि चीन भारतीय साबइर स्पेस में घुसपैठ का दस्तावेजों को चुराकर रणनीतिक फायदा उठा रहा है, साथ ही भारतीय नेटवर्क क्षमताओं का आकलन कर भारत की आन्तरिक सुरक्षा को कमजोर करने हेतु विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न कर रहा है। चीन अपने एक जासूसी ऑपरेशन 'शैडो नेटवर्क' के माध्यम से भारतीय रक्षा मंत्रालय एवं उससे सम्बन्धित विभागों की जानकारी एकत्र कर रहा है।

भारतीय आंतरिक सुरक्षा के लिये पाकिस्तान साइबर हैकिंग द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा है। पाकिस्तानी हैकर्स को आई. एस. आई. व सेना का पूरा समर्थन प्राप्त होता है। (1) भारत में लगातार आन्तरिक विद्वेषतापूर्ण वातावरण बनाने में अनेकों फर्जी चैनलों के माध्यम से भारत की आन्तरिक शान्ति को भंग करने का प्रयास पाकिस्तान द्वारा लगातार किया जाता रहा है। विश्व की एक संस्था 'मैकाफी' की रिपोर्ट के अनुसार 120 से ज्यादा देश साइबर हैकिंग में व्यस्त हैं लेकिन चीन व पाकिस्तान को इस काम में श्रेष्ठता प्राप्त है। चीन ने तो साइबर हमलों के लिये साइबर सेना का गठन कर रखा है। वर्तमान में चेंगदू में इसका मुख्यालय बना है। चीन साइबर हमलों का विश्व में नवीनतम तकनीक का जनक माना जाता है और लगातार विश्व में अपनी पकड़ मजबूत करने के एक मजबूत हथियार के रूप में उपयोग करता आ रहा है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  2. प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  3. प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
  5. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  7. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
  9. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
  11. प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
  12. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
  13. प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  14. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
  15. प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
  17. प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
  18. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
  23. प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
  24. प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
  25. प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  26. प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
  28. प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
  29. प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
  32. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
  33. प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
  36. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  37. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
  38. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
  39. प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
  40. प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
  41. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
  44. प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  45. प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
  46. प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
  48. प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
  49. प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
  50. प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
  51. प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
  55. प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
  57. प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
  58. प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
  59. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
  60. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
  62. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
  64. प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
  65. प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
  68. प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
  69. प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
  70. प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
  71. प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  72. प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
  73. प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
  75. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  76. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  77. प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
  78. प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
  81. प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
  86. प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
  88. प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
  89. प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
  90. प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
  91. प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
  92. प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
  93. प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  94. प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
  95. प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
  96. प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
  97. प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  99. प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए

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